
आज हम जानेगें-
- देश का झंडा तिरंगा फहराने के नियम
- स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस
- कब कौन झंडा फहराता है
- ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर
- 15 अगस्त 1947 को नहीं गाया गया था राष्ट्रगान
- तिरंगे से जुड़ा एक किस्सा
ये हम सभी जानते है कि हमारा देश १५ अगस्त १९४७ को आजाद हुआ था और इस १५ अगस्त २०२२ को आजादी की ७५ वर्ष पूर्ण हो जायेंगे|
आजादी के ७५ वर्ष के उपलक्ष्य में भारत सरकार “आजादी का अमृत महोत्सव ” मना रहा है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के७५ वर्ष के उपलक्ष्य में ‘हर घर तिंरगा’ अभियान शुरू किया है| उन्होंने हर नागरिक से यह अपील की है कि वे अपने घर पर तिरंगा ध्वज लगाए|
सोशल मीडिया पर भी राष्ट्रीय ध्वज तिंरगा को लेकर अभियान चलाया जा रहा है| युवाओं में तिरंगे को लेकर बहुत उत्साह और उमंग साफ देखा जा सकता है| अगस्त का महीना आते ही फिजाओं में आजादी की महक घुल जाती है| आजादी की वह खुशबू देशभक्ति के गानों और तिरंगे से और निखर जाती है| आजादी के लिए वो संघर्ष, वो आंदोलन और अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरें तोड़ने की वो जद्दोजहद हम सभी को फिर से याद आने लगती है| आजादी की जंग और उसके बाद आजादी को बनाए रखने में राष्ट्रध्वज यानी तिरंगे का भी बड़ा योगदान है|
स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस दोनों ही दिन हमें सबसे ज्यादा लगाव होता है हमारे तिरंगे से, जो हमारी आन-बान और शान है और हर हिन्दुस्तानी की पहचान है|
जिसके सम्मान के लिए कितनों ने अपनी जान कुर्बान कर दी, हमे भी इसकी शान बनाए रखने के कुछ नियम को जानना जरूरी है|
देश का झंडा फहराने के नियम
तिरंगा हमारी पहचान है इसलिए इसे फहराने के भी कुछ नियम है जिसे जानने का अधिकार सभी भारतवासियों को है|
तिरंगा तीन आयताकार हिस्सों से मिलकर बना है| इन तीन रंग के आयतकार पट्टियों की लंबाई-चौड़ाई बिल्कुल बराबर है, जो ३:२ अनुपात के आकर में होता है | | राष्ट्रध्वज में सबसे ऊपर केसरिया रंग है. इसमें सबसे नीचे का आयत हरे रंग का और दोनों के बीच सफेद रंग का आयत है| तिरंगे के बीचों-बीच सफेद रंग के आयत में नीले रंग में अशोक चक्र है| इस चक्र में बराबर दूरी और एक ही डिजाइन की २४ तीलियां हैं|
तिरंगा हमेशा सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही फहराया जाता है |
तिरंगे को कभी जमींन पर नहीं रखना चाहिए |
देश में सिर्फ़ राष्ट्रीय शोक होने पर ही झंडे को झुकाया जाता है|
झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता|
झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुँचाने या इसका अपमान करने पर इंसान को जेल भी जाना पड सकता है|
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस
हमारे देश भारत में १५ अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है ये हमारे राष्ट्रीय त्योहार है|

१५ अगस्त १९४७ भारतीय इतिहास का स्वर्णिम दिन है इस दिन हमें ब्रिटिश सरकार से आजादी मिली थी | आजादी पाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया था |
१९४७ से हर साल हम१५ अगस्त को उन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करते है और अपने देश की आजादी का जश्न को मनाते है|

१५ अगस्त की तरह ही २६ जनवरी को भी हम देश का राष्ट्रीय पर्व मनाते है| २६ जनवरी को पूरा देश गणतंत्र दिवस मनाता है, इस दिन हमारे देश का सविधान लागु हुआ था | भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसे बनाने में २ साल, ११ महीने और १८ दिन का समय लगा | गणतंत्र दिवस पर अशोक चक्र और कीर्ति चक्र जैसे महत्वपूर्ण सम्मान से नवाज़ा जाता है और इसी दिन हमारी सेना अपना शक्ति प्रदर्शन और परेड मार्च करती है|
कब कौन झंडा फहराता है
राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश की शान और गौरव का प्रतिक है| हर साल १५ और २६ जनवरी को झंडा फहराया जाता है|

१५ अगस्त स्वतंत्रता दिवस को देश के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर से ध्वजारोहन करते है और देश के नाम संबोधन करते है |
२६ जनवरी गणतंत्र दिवस को देश के राष्ट्रपति राजपथ पर झंडा फहराते है|

झंडा फहराना और ध्वजारोहण में अंतर
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) वाले दिन राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर खींचा जाता है और फिर फहराया जाता है| दरअसल जिस दिन भारत को आजादी मिली थी उस दिन ब्रिटिश गवर्नमेंट ने अपना झंडा उतारकर भारत के तिरंगे को ऊपर चढ़ाया था, इसलिए हर साल 15 अगस्त को तिरंगा ऊपर खींचा जाता है, फिर उसके बाद फहराया जाता है| इस पूरे प्रोसेस को ध्वजारोहण (Flag Hoisting) कहते हैं| वहीं, 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस वाले दिन राष्ट्रीय ध्वज ऊपर बंधा रहता है, उसे केवल फहराया जाता है. यही वजह है की उसे ध्वजारोहण नहीं बल्कि झंडा फहराना (Flag Unfurling) कहते हैं|
15 अगस्त 1947 को नहीं गाया गया था राष्ट्रगान
आपको जानकर हैरानी होगी। लेकिन, जब पहली बार प्रधानमंत्री पंडित जावहर लाल नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा फहराया था। तब राष्ट्र गान नहीं गाया गया था। वर्तमान राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ रवींद्रनाथ टैगोर ने साल 1911 में ही लिख दिया था। लेकिन तब तक इसे राष्ट्रगान का दर्जा नहीं मिला था। 1950 में जाकर ये राष्ट्रगान बना और इसे तिरंगा फहराने के बाद सम्मान में गाया जाने लगा।
तिरंगे से जुड़ा एक किस्सा
आज मैं आपके साथ तिरंगे से जुड़ा एक किस्सा साझा करना चाहती हूँ, मैं यकीन के साथ कहती हूँ कि ये किस्सा आपके दिल को हिला कर रख देगा |
सिग्नल और फुटपाथ पर आपने अक्सर देखा होगा कि छोटे-छोटे बच्चे कुछ चीजें बेचते रहते हैं, और हम सभी जानते कि ये काम वो खुद से नहीं करते है बल्कि उनसे कोई दूसरा ये काम करवाते है| ऐसे ही १४ और १५ अगस्त के दिन एक बच्चा छोटे-छोटे तिरंगे झंडे बेच रहा था और एक दूसरा उसके साथ वाला आदमी कुछ और| उस बच्चे के तो सारे झंडे बिक गए और दूसरे वाले के एक भी चीज नहीं बिकी| उस आदमी ने उससे पैसे माँगे पर उस बच्चें ने उसे नहीं दिए और वह उन्हें अपने सिरहाने के नीचे रखकर सो गया| रात को दूसरे आदमी ने छुपके से वो पैसे चूरा कर शराब पी गया |
अगले दिन बच्चों से ये काम करवाने वाले व्यक्ति ने उस बच्चे से पैसे माँगे पर उसके पास उसे देने के पैसे नहीं थे न ही झंडे | उस व्यक्ति ने उसे बहुत मारा तब उस लड़के ने कहा कि मैं कल आपको पैसे दे दूँगा, उस बच्चे ने सोचा कि जब आज उसके झंडे बिक गए थे तो कल भी बिक जायेंगे पर ……..
अगले दिन कचेरे के ढेर से उस बच्चे ने सारे झंडे उठाये और फिर से बेचने लगा पर किसी ने एक भी झंडा नहीं ख़रीदा| उस दिन उस बच्चे को निराशा हाथ लगी और यदि उसे कुछ मिला तो वह था मार-मार और सिर्फ़ मार |
मेरी आप सभी से गुजारिश है कि हम लोगों को सिर्फ़ १५ अगस्त और २६ जनवरी के दिन ही तिरंगे का सम्मान नहीं करना है बल्कि हर दिन पूरे ज़ज्बे और जोश के साथ करना है क्योंकि इसे पाने के लिए न जाने कितने कष्ट सहे हैं |
जय हिन्द
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