
गुरु
गुरु को कभी अभिमान नहीं होता,
अभिमान जो होता तो वह गुरु नहीं होता |
सीखते तो हैं हम ना-ना तरीको से पर,
गुरु के बिना ज्ञान यहाँ पूरा नही होता |
राजा हो या रंक गुरु की आवश्यकता होती है हर पल,
गरु न होते तो चंद्रगुप्त सम्राट न बनते कल|
कर्ण ने गुरु पाने के लिए अपने को ब्राह्मण है बताया,
एकलव्य ने भी छुप-छुपकर ज्ञान तो गुरु से ही पाया|
दानव हो या देवता, गुरु के समक्ष सभी ने अपना मस्तक झुकाया,
दुनिया को गीता का ज्ञान देने वाले कृष्ण ने भी गुरु से ही चौसठ कलाओं का ज्ञान था पाया|
गुरु है तो ज्ञान है, बिन गुरु हम सब अज्ञान हैं,
गुरु के पावन चरणों में नमन बारम्बार है|
-किरण यादव
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