आज हमारे विद्यालय में कविता गायन की प्रतियोगिता आयोजित की गई।
बड़े ही उत्साह के साथ मैंने कक्षा मे प्रवेश किया, सोचा आज बच्चे बड़े उत्साह के साथ मुझे न-न प्रकार की कविता सुनाएँगे। कोई वीरता और ओजस से परिपूर्ण कविता गाकर सबके दिलों में देश भक्ति की ज्वाला को धधकायेगा, तो कोई श्रृंगार रस की कविता से प्यार बरसायेगा, कोई हँसी ठिठोली करके गुदगुदायेगा, तो कोई करुणा मय भाव से दया की जोत जलाएगा, कोई माँ का वात्सल्य तो कोई यार का याराना बताकर मन बहलाएगा|
एक के बाद एक कई कक्षाओं में मैं गई, कविता सुनने का जो मेरा उत्साह, उमंग और जोश था, जिसे मैं अपने आँचल में छुपाकर ले गई थी, किसी से पूर्व में कोई चर्चा नहीं की थी ताकि मेरा उत्साह कहीं कम ना हो जाए | धीरे-धीरे, आहिस्ता-आहिस्ता, शनैः-शनैः, हौले-हौले दिन ढलने लगा और साथ में ढलने लगा मेरा उत्साह कक्षा दर कक्षा|
दिन के अंत में मैंने ये बात अपने सहकर्मियों से साझा की, कि आज मेरा कविता गायन का अनुभव कैसा रहा?
सोचा आप सभी को भी मेरा यह पहला पर बहुत ही अनोखा अनुभव साझा करूँ|
जब मैंने अपने सहकर्मियों को बताया कि मुझे आप लोगों से कहने में शर्म तो आ रही है पर यह एक सच्चाई है, जो मैं आप लोगों से साझा करना चाहती हूँ | सभी ने बड़े ही उत्सुकता से पूछा कि क्या-क्या जल्दी बताओ क्या हुआ!
मैंने उनसे कहा कि आज कविता गायन प्रतियोगिता में ………
सभी जानने को बेताब थे कि आज की प्रतियोगिता मैं क्या हुआ? बच्चों ने कैसी कविता सुनाई? बहुत हास्यास्पद थी क्या उनकी कविताएँ ? या कोई ऐसी कविता सुनाई जिससे सबकी आँखे खुल जाए? जल्दी बताईए अब और इंतजार नहीं होता|
मैंने कहा कि इतने बेसब्र ना होईये अभी सारा दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा | आपके मन में जो अनंत जिज्ञासा के घोड़े दौड़ रहे है उन्हें जरा लगाम दो, क्योंकि ऐसा कुछ नहीं हुआ जो आप सोच रहे है |
तो! तो क्या हुआ?
तो फिर सुनिए- आज हमारी स्कूल में कविता गायन प्रतियोगिता थी तीन अलग-अलग विषय में कविता बोलनी थी, जैसे कि हमारी स्कूल अंग्रेजी मीडियम है तो अंग्रेजी की कविता बोलना सभी के लिए अनिवार्य था और बच्चें हिंदी और मराठी में से किसी एक विषय में कविता बोल सकते थे| जब मैंने कक्षा में प्रवेश किया और छात्रों से हिंदी कविता प्रस्तुत करने का आग्रह किया तब हर कक्षा से केवल तीन या चार छात्रों ने ही हिंदी में कविता गायन किया |
प्रत्येक कक्षा में कम से कम ३५ से ४० बच्चें है उन मे से सिर्फ़ ३ या ४ बच्चें ? ऐसा किसी एक कक्षा में नहीं हुआ बल्कि पूरी ८ कक्षाओं में हुआ | छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए मैंने स्वयं कविता गायन किया, इसके बाद कुछ बच्चे तैयार हुए वो भी इस वादे के साथ कि वो याद करके आएँगे और कल सुनाएँगे|
इस घटना ने मेरे दिल को झकझोर के रख दिया कि हिंदी भाषी देश में हिंदी की ऐसी दयनीय दशा? जो विद्यार्थी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में है, जहाँ हिंदी में बात करने की अनुमति नहीं है फिर भी हिंदी में बात करने के लिए बेताब रहते है उन्हें हर पल याद दिलाया जाता है कि ‘टॉक इन इंग्लिश’, वो विद्यार्थी हिंदी की एक कविता बोलने में झिझकते है?
मुझे उस समय एक हिंदी शिक्षिका होने के नाते शर्म का अनुभव हो रहा था पर, क्या इस परिस्थिति के लिए मैं अकेली जिम्मेदार हूँ?
पर मुझे गर्व महसूस होता है कि हिंदी हमारे देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली और पूरे विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है| मुझे उम्मीद है कि एक दिन हमारे अपने देश में हिंदी दसवी के बाद भी अनिवार्य विषय जरुर बनेगी| यही उम्मीद हर एक बार मेरे अंदर अपनी भाषा के लिए कुछ करने की ज्वाला जगा देती है, जिसे मुझे बुझने नहीं देना है |
जय हिन्द!
-किरण यादव
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